रविवार 03 2021

 

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कभी-कभी हम सबके मन में ख्याल जरूर आया होगा कि जो Internet हमारे दिनचर्या का अभिन्न अंग बन गया है । उसकी उत्पत्ति कब और कैसे हुई जो देखते ही देखते पूरी दुनिया को एक सूत्र में जोड़ कर रख दिया ।

 कैसे हमारी जिंदगी में Internet ने अपना घर बना लिया है, हम कुछ घंटों बिना भोजन पानी के रह सकते हैं लेकिन बिना Internet के जिंदगी मुश्किल से लगने लगती है तो आइए इन्हीं रहस्य को जानने की कोशिश करते हैं ।

इंटरनेट कब और कैसे बना ?

सबसे पहले Internet का आविष्कार अमेरिका में 1969 में डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DOD-Department of Defense) ने किया था । Internet पर सूचना के आदान-प्रदान करने के लिए जिस माध्यम का उपयोग होता है उसे ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल (Transmission Control Protocol) या इंटरनेट प्रोटोकोल कहते हैं । 

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(IP-Internet Protocol) आप आईपी एड्रेस के बारे में पहले से भी जानते होंगे । जैसे कंप्यूटर का आईपी ऐड्रेस, मोबाइल का आईपी एड्रेस, वाईफाई का आईपी ऐड्रेस इत्यादि सन 1979 में ब्रिटिश डाकघर ने पहले अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क (International Computer Network) को बनाकर नई टेक्नोलॉजी को अस्तित्व में लाया । इस नेटवर्क को एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट इन एजेंसी (ARPA-Advance Research Projectin Agency) ने 1980 में लांच किया । 

1980 में ही बिल गेट्स के आईबीएम (IBM-International Business Machine)  के साथ कंप्यूटर  पर एक माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम (MOS-Microsoft Operating Systems) लगाने को लेकर एक डील पर समझौता हुआ और इसके बाद में Internet का सही इस्तेमाल करने के लिए 1984 में एप्पल ने पहली बार ड्रॉपडाउन मेंन्यू, माउस ग्राफिक्स इत्यादि के प्रयोग से तैयार आधुनिक एवं सफल कंप्यूटर लांच किया ।


भारत में इंटरनेट कब और कैसे हैं ?

भारत में इंटरनेट की शुरुआत आज से करीब 25 साल पहले 15 अगस्त 1995 को कोलकाता से हुई थी । और भारत में सबसे पहले इंटरनेट की सेवाएं विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL- Videsh Sanchez Nigam Limited) ने की थी । यही VSNL आज बीएसएनएल (BSNL-Bharat Sanchar Nigam Limited) बन गया है । 

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BSNL अब सरकारी कंपनी से निजी कंपनी में तब्दील हो चुका है । जिसका नाम टाटा कम्युनिकेशन (Tata Communication) है, VSNL ने टेलीफोन लाइन के जरिए दुनिया के दूसरे कंप्यूटर को भारत के कंप्यूटर से जोड़ा, उसके बाद 1998 में भारत सरकार ने इंटरनेट के विस्तार के लिए Internet सेवा  में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी शुरू की और भारत में इंटरनेट सेवाएं शुरू करने वाली पहली प्राइवेट कंपनी सत्यम इन्फो (Satyam Info) थी ।

इंटरनेट कैसे चलता है ?

दोस्तों कभी आपने सोचा है Internet कैसे काम करता है ? कैसे कभी किसी को ज्यादा स्पीड मिलती है तो किसी को कम स्पीड, अलग-अलग ऑपरेटर अलग-अलग टैरिफ प्लान क्यों देते हैं ? Internet का असली मालिक कौन है ? Internet हमारे तक पहुंचता कैसे हैं ?

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इंडिया समेत पूरी दुनिया Interconnected है,  लेकिन क्या कभी सोचा है कि Internet काम कैसे करता है? आप सोचते होंगे नेटवर्क से चलता होगा, आपको लगता होगा पूरी दुनिया में नेटवर्क बिछा होगा उससे चलता होगा । लेकिन अधिकांश लोगों को नहीं पता होगा कि Internet चलता है Optic Fibre Cable से जो कि पूरी दुनिया में समुद्र के अंदर से बिछी होती है । 

आपको बताते चलें कि Internet पूरी तरह से फ्री सर्विस होता है । अब आप सोच रहे होंगे फिर पैसे किस बात के लिए जाते हैं, तो हम लोग Internet के पैसे ना देकर समुद्र में जो केबल बिछी होती हैं उसकी लागत, उसके रखरखाव और उसकी सुरक्षा के लिए पैसे देते हैं ।

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 पूरी दुनिया में जो केबल बिछी होती है उसे Optic Fibre Submarine Cable कहते हैं । यह केबल  बहुत ही मजबूत किस्म का होता है । उसके अंदर बहुत  सारे बारीक वायर होते हैं, इनमें 100 GBPS की स्पीड होती है । जो इन केबल को बिछाते हैं उन्हें टायर वन कंपनी कहते हैं । जिन्होंने अपने पैसे और इन्वेस्टमेंट से पूरी दुनिया में केवल बिछा रखा है । 

इस प्रकार इंडिया में समुद्र के रास्ते होकर आने वाले केबल की लैंडिंग पॉइंट मुंबई में है यहीं से रिलायंस जिओ टाटा इत्यादि Internet लेकर पूरे इंडिया में भेजते हैं । इस तरह से मुंबई के अलावा चेन्नई को चीन समेत कई जगह लैंडिंग पॉइंट बने हुए हैं ।

 ऑप्टिक फाइबर केबल के माध्यम से Internet पहले भारत में आता है उसके बाद भारत के राज्यों में फिर सभी राज्यों के जिलों में डिस्ट्रीब्यूटर कर दिया जाता है कई चैनलों से होकर Internet फाइनली हमारे तक पहुंचता है ।

रिलायंस जिओ का इंटरनेट सस्ता और फ्री क्यों होता है ?

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सबसे अहम बात यह है कि रिलायंस जियो ने 5 साल लगाकर अपना खुद का ऑप्टिक फाइबर सबमरीन केबल (Optic Fibre Submarine Cable) बिछा रखा है । अब तक रिलायंस जियो ने एशिया, अफ्रीका और यूरोप तक समुद्र के रास्ते ऑप्टिक केबल बिछाया है । इस तरह से रिलायंस जियो को 40 TB की स्पीड मिलती है, तभी रिलायंस जिओ फ्री में Internet दे पाता है । 


इंटरनेट का मालिक कौन है ?

Internet की खोज अमेरिका में हुई है और अमेरिका की नीति है कि डिफेंस में यूज की जाने वाली खोजों को पब्लिक यूज के लिए दे देना है । अमेरिका की  पॉलिसी रही है कि वह अपने खोजों को अपने नागरिकों के लिए बिजनेस के तौर पर नहीं इस्तेमाल नहीं करेगा । 

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इस तरह से Internet की एक विशाल मायाजाल पर किसी का भी हक नहीं रहा और वह पब्लिक यूज़ के लिए उपयोग किया जाने लगा । परिणाम स्वरूप विश्व में कई सारे छोटे-छोटे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (Internet Service Providers) शुरू हो गए जिन्होंने अपने लोकल नेटवर्क को वैश्विक इंटरनेट के साथ जोड़ दिया और इस तरह Internet की जाल पूरी दुनिया में फैल गया । 

यही वह प्राइवेट सेक्टर इंटरनेट प्रोवाइडर (Private Sector Internet Providers) है जिनको कुछ शुल्क देना पड़ता है ।  कुल मिलाकर हम समझ सकते हैं कि इंटरनेट पब्लिक के लिए था इसका कोई मालिक नहीं है । यह कह सकते हैं कि इंटरनेट का मालिक  उपयोगकर्ता खुद है ।

नोट-उपर्युक्त सारी जानकारी गूगल के माध्यम से लिए गए हैं ।


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