क्यों मनाते हैं खिचड़ी ? इस दिन खिचड़ी ही क्यों खाते हैं ?
सोमवार 15 जनवरी 2024
मकर संक्रांती हिन्दू समाज का बहुत ही पौराणिक व पवित्र पर्व है जो की प्रत्येक वर्ष के पहले माह में मनाया जाता है । अलग अलग स्थानीय मान्यताओं के आधार पर अलग-अलग तौर तरिको से बड़े ही धुम-धाम से मनाया जाता है । हिन्दू परम्परा के अनुसार इस दिन घर के सभी सदस्यों द्वारा प्रात: काल स्नान करके सूर्य देव का पूजा किया जाता है और नए वस्त्र धारण करके दही, गुड़, तिल इत्यादी का सेवन किया जाता ।
मकर संक्रांति के अन्य कितने नाम है ?
मकर संक्रांति को अन्य कई नामों से भी जानते हैं जैसे खिचड़ी, उत्तरायण, संक्रांति, पोंगल, भोगली बिहू, लोहड़ी, इत्यादि ।
खिचड़ी की परंपरा कैसे शुरू हुई ?
मकर संक्रांति को खिचड़ी बनने की परंपरा को शुरू करने वाले बाबा
गोरखनाथ थे । मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष
के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था । इस वजह से योगी अक्सर भूखे रह जाते थे । इस तरह से युद्ध लड़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था और योगियों की हालत बिगड़ने लगी ।
योगियों की बिगड़ती हालत को देख बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी
को एक साथ पकाने की सलाह दी । यह व्यंजन पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट था । इससे
शरीर को तुरंत उर्जा भी मिलती थी । नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया । बाबा गोरखनाथ
ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा ।
झटपट तैयार होने वाली खिचड़ी से नाथ योगियों की भोजन की परेशानी
का समाधान हो गया और इसके साथ ही वे खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सफल हुए । खिलजी
से मुक्ति मिलने के कारण गोरखपुर में मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में
भी मनाया जाता है । इस दिन गोरखनाथ के मंदिर के पास खिचड़ी मेला आरंभ होता है । कई दिनों
तक चलने वाले इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसे भी प्रसाद
रूप में वितरित किया जाता है ।
खिचड़ी का महत्व
मकर संक्रांति को खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने खास होता है । इसी
वजह से इसे कई जगहों पर खिचड़ी भी कहा जाता है । मान्यता है कि चावल को चंद्रमा का प्रतीक
मानते हैं, काली उड़द की दाल को शनि का और हरी सब्जियां बुध का प्रतीक होती हैं । कहते
हैं मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से कुंडली में ग्रहों की स्थिती मजबूत होती है । इसलिए
इस मौके पर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां डालकर खिचड़ी बनाई जाती है ।
पालक दाल खिचड़ी की |
भारतीयों का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में वहां की परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है।
मेला देखना हम सभी को पसंद होता है। |
इसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है।
गंगा स्नान |
कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है मकर संक्रांति त्योहार विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है ।
उत्तर प्रदेश : मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है. सूर्य की पूजा की जाती है । चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है ।
खिचड़ी के हैं चार यार, दही पापड़ घी और आचार |
गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है. पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है ।
उत्तरायण (Uttarayan) के उपलक्ष्य में गुजरात में हर साल अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव (International Kite Festival) मनाया जाता है। |
आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है ।
Sankranti Celebrations In AP, Telangana |
तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है । घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है, पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है । पारम्परिक रूप से ये सम्पन्नता को समर्पित त्यौहार है जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप तथा खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है ।
तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह प्रति वर्ष १४-१५ जनवरी को मनाया जाता है । |
पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है ।
स्वादिष्ट फरा |
असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है ।
पंजाब : एक दिन पूर्व लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है. धूमधाम के साथ समारोहों का आयोजन किया जाता है ।
Courtesy: Jansatta |
Courtesy: Jansatta |
Courtesy: Jansatta |
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2 टिप्पणियाँ
Jeeyo mere laaal...
REPLYBht acche
Thanks
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