बुधवार 24 2024

Source:www.mastertrust.co.in

एसटीटी चार्ज क्या है ? 

एसटीटी (Securities Transaction Tax) एक प्रत्यक्ष कर है जिसे भारत में शेयर बाजार में की जाने वाली विभिन्न प्रतिभूतियों के लेन-देन पर लगाया जाता है। यह कर सरकार द्वारा निवेशकों और व्यापारियों से विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों जैसे इक्विटी शेयर, डेरिवेटिव्स आदि के लेन-देन पर वसूला जाता है।

एसटीटी की उत्पत्ति

एसटीटी को पहली बार 2004 में भारतीय वित्त अधिनियम के तहत पेश किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार में की जाने वाली अटकलों और धोखाधड़ी को रोकना था। इसके साथ ही, यह सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत भी है।

एसटीटी के प्रकार 

एसटीटी विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों पर अलग-अलग दरों पर लगाया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख प्रकार और उनकी दरें दी गई हैं:

1. इक्विटी शेयर (Equity Shares)
  •    खरीद: इक्विटी शेयरों की खरीद पर एसटीटी नहीं लगता है। 
  •    बिक्री: इक्विटी शेयरों की बिक्री पर 0.1% एसटीटी लगता है। (पहले 0.0125%  था)

2. इक्विटी डेरिवेटिव्स (Equity Derivatives)
   विकल्प (Options)
  •      खरीद: विकल्प खरीद पर एसटीटी नहीं लगता है।
  •      बिक्री: विकल्प बिक्री पर 0.1% एसटीटी लगता है। (पहले 0.062% था)
   फ्यूचर्स (Futures)
  •      खरीद और बिक्री: फ्यूचर्स पर 0.02% एसटीटी लगता है। (पहले 0.0125 था)

3. म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds)
  •    इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स की बिक्री: 0.001% एसटीटी लगता है।

एसटीटी का महत्व

एसटीटी एक पारदर्शी कर प्रणाली को प्रोत्साहित करता है जिससे कि निवेशक और व्यापारी अपने लेन-देन को कानूनी रूप से और पारदर्शिता के साथ कर सकें। इससे सरकार को नियमित और निश्चित राजस्व प्राप्त होता है।

एसटीटी कैसे वसूला जाता है ?

एसटीटी को स्टॉक एक्सचेंजों और मान्यता प्राप्त प्रतिभूति बाजारों के माध्यम से वसूला जाता है। जब कोई निवेशक या व्यापारी स्टॉक एक्सचेंज में कोई लेन-देन करता है, तो उस पर लागू एसटीटी को स्वतः ही उसके ट्रेडिंग खाते से काट लिया जाता है। 

एसटीटी के लाभ और सीमाएं

लाभ 

  1. सरलता और पारदर्शिता: एसटीटी एक सरल और पारदर्शी कर प्रणाली है जो निवेशकों और व्यापारियों के लिए समझने में आसान है।
  2. कर चोरी की रोकथाम: एसटीटी की वसूली सीधे ट्रेडिंग खाते से होती है, जिससे कर चोरी की संभावना कम हो जाती है।
  3. नियमित राजस्व: सरकार को इससे नियमित रूप से राजस्व प्राप्त होता है, जो विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए उपयोगी होता है।
  4. निवेशकों का विश्वास: एसटीटी के माध्यम से एक पारदर्शी और निष्पक्ष बाजार प्रणाली विकसित होती है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है।

सीमाएं

  1. अतिरिक्त लागत: एसटीटी एक अतिरिक्त लागत होती है जो व्यापारियों और निवेशकों को चुकानी पड़ती है, जिससे उनकी कुल ट्रेडिंग लागत बढ़ जाती है।
  2. कम तरलता: एसटीटी के कारण कुछ निवेशक और व्यापारी बाजार से दूर रह सकते हैं, जिससे बाजार की तरलता पर प्रभाव पड़ सकता है।
  3. छोटे निवेशकों पर असर: छोटे निवेशक, जो कम पूंजी के साथ बाजार में आते हैं, उनके लिए यह अतिरिक्त कर एक भार हो सकता है।
  4. सीमित लेन-देन: कुछ प्रकार के लेन-देन पर एसटीटी नहीं लगता, जिससे निवेशकों को कर योजना में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

एसटीटी और अन्य कर

एसटीटी के अलावा, निवेशकों और व्यापारियों को अन्य करों का भी ध्यान रखना होता है, जैसे कि पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax)। हालांकि, एसटीटी का भुगतान करने के बाद कुछ मामलों में पूंजीगत लाभ कर में छूट मिल सकती है, जिससे कुल कर बोझ कम हो सकता है।

एसटीटी की गणना कैसे करें?

एसटीटी की गणना करना काफी आसान है। उदाहरण के लिए, यदि आप 10 लाख रुपये के इक्विटी शेयर बेचते हैं, तो एसटीटी 0.1% होगा, जो कि 1000 रुपये होगा। इसी तरह, डेरिवेटिव्स और अन्य प्रतिभूतियों के लिए भी संबंधित दरों के आधार पर एसटीटी की गणना की जाती है।

एसटीटी के बारे में नवीनतम जानकारी

एसटीटी की दरें समय-समय पर सरकार द्वारा संशोधित की जाती हैं। इसलिए, निवेशकों और व्यापारियों को नवीनतम दरों और नियमों की जानकारी रखना आवश्यक है। इसके लिए वे सरकार के वित्त मंत्रालय की वेबसाइट या अपने ब्रोकर की सहायता ले सकते हैं।

निष्कर्ष

एसटीटी भारतीय शेयर बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल सरकार को राजस्व प्रदान करता है बल्कि निवेशकों और व्यापारियों के लिए एक पारदर्शी और निष्पक्ष बाजार प्रणाली भी सुनिश्चित करता है। हालांकि, एसटीटी की अतिरिक्त लागत और इसके प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों को अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को उचित तरीके से योजना बनानी चाहिए।

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