अगर आपने भारत के नक्शे को गौर से देखा होगा तो इस बात को जरूर ध्यान दिया होगा कि हमारे देश के नक्शे में श्रीलंका को भी दर्शाया जाता है । बचपन से भारत का मानचित्र देखने और उसका चित्र बनाने के बावजूद भी आप में से ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि हमारे देश के नक्शे में श्रीलंका का हिस्सा क्यों दर्शाया जाता है ।
ऐसे बहुत सारे सवाल हमारे दिमाग में चलते रहते, जैसे भारत इस पर अपना कब्जा क्यों नहीं कर लेता जबकि उसका नक्शा हमारे नक्शे के अंदर आता है ? श्रीलंका भारत के नक्शे में दर्शाए जाने पर आपत्ति क्यों नहीं करता ? दूसरे देश इस बात पर ध्यान क्यों नहीं देते ? तो चलिए आज इन सवालों के जवाब हम देते हैं
भारत के मानचित्र में श्रीलंका क्यों आता है ?
अगर आप किसी भी देश के मानचित्र पर नजर डालेंगे तो आप देखेंगे कि हर देश के आसपास मौजूद सीमा रेखा दूसरी देश की सीमा रेखा से मिलती है । ऐसे में किसी भी देश का नक्शा देखने पर आपको दूसरा देश भी दिखाई देगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नक्शे में दिखाया गया देश किसी दूसरे देश का हिस्सा कहलाएगा । इस तरह भारत के नक्शे में दिखाया गया श्रीलंका हमारे देश का हिस्सा नहीं है लेकिन उसे हमारे देश के नक्शे में दिखाए जाने के पीछे समुद्री कानून (Law of the Sea) है ।
इस कानून को बनाने का पहल यूनाइटेड नेशन (UN-United Nation द्वारा की गई थी । जिसके तहत साल 1956 में पहला समुद्री कानून (UNCLOS-1, 1956-United nations convention on the law of the Sea) सम्मेलन आयोजित किया गया था । उस सम्मेलन का परिणाम साल 1958 में घोषित किया गया था । जिसमें कई अंतर्राष्ट्रीय देश शामिल हुए थे ।
समुद्री कानून के तहत समुद्र और विभिन्न देशों की सीमा रेखाओं को लेकर संधियों और समझौतों पर एकमत रखा गया था । इस कानून को लेकर साल 1973 से 1982 के बीच तीसरा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nation Submit) किया गया था जिसके परिणाम स्वरूप समुद्र से जुड़ी कानूनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई थी ।
समुद्री कानून (Law of the Sea) के तहत किसी भी देश की आधार रेखाएं यानी बेसलाइन से 200 नॉटिकल माइल्स तक समुद्र में मौजूद हर चीज को नक्शे में दिखाना अनिवार्य है । आपको बता दें कि 1 नॉटिकल माइल्स 1.824 किलोमीटर के बराबर होता है । (The nautical miles =1.284 Kilometers) इस हिसाब से 200 नॉटिकल माइल्स= 370 किलोमीटर का होता है ।
ऐसे में समुद्री कानून के तहत भारत की आधार रेखा से 370 किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर चीज या देश को नक्शे में दिखाना अनिवार्य होता है । जिसकी वजह से श्रीलंका दूसरा देश होने के बावजूद भी भारतीय मानचित्र का हिस्सा बन जाता है । आपको बता दें कि भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित धनुष्कोड़ी गांव से श्रीलंका की दूरी मात्र 18 माइल्स है । इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून के तहत भारतीय नक्शे का हिस्सा कैसे बन जाता होगा ।
मानचित्र को लेकर भारत और श्रीलंका के बीच मतभेद क्यों नहीं होता ?
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Courtesy:fibre2fashion.com |
समुद्री कानून (Law of the Sea) के तहत भारतीय नक्शे में श्रीलंका को दिखाए जाने को लेकर आर्टिकल 76 में कुछ अहम बातों का जिक्र किया गया था जिसके तहत यह बताया गया था कि अगर भारत या श्रीलंका अपने अधिकार क्षेत्र को मानचित्र में दर्शाते हैं तो उसके 370 किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर वाटर बॉडी (Water body) को दिखाना जरूरी है । यही वजह है कि भारत के मानचित्र में श्रीलंका को दर्शाए जाने पर किसी तरह का विवाद पैदा नहीं होता है । क्योंकि समुद्री नियम के तहत भारत श्रीलंका पर अपना अधिकार नहीं जमा सकता ।